पाकिस्तान के रावलपिंडी में रहते हुए मतलूब अली जैदी के दिल में उत्तराखंड के देहरादून को देखने की ख्वाहिश बढ़ती जा रही थी। देहरादून के जिस घर में वे पैदा हुए और जिस आंगन में खेले-कूदे, उस माटी की याद उन्हें सताने लगी। एक तरफ 82 साल के बुजुर्ग की बचपन के दिन ताजा करने की तमन्ना, दूसरी तरफ दो देशों के तल्ख रिश्ते।
सैकड़ों मील की दूरी और उम्र का तकाजा। बावजूद इसके दोनों देशों के नागरिक सम्पर्क और सोशल मीडिया के जरिए भारतीय गणतंत्र दिवस के मौके पर एक पाकिस्तानी बुजुर्ग की यह इच्छा पूरी हुई। 75 साल पहले पीछे छूट गए अपने पुश्तैनी घर, गली और प्यारे देहरा को देखकर रावलपिंडी में रह रहे जैदी की आंखें भर आईं।
जैदी उस जमाने के एक छोटे से कस्बे देहरादून की आज वाली चहल-पहल का वीडियो देख दंग रह गए। मतलूब अली जैदी 1947 में सपरिवार देहरादून से रावलपिंडी चले गए थे। तब उनकी उम्र महज सात साल की थी। लेकिन जैदी के दिल में अपने बचपन का देहरा हमेशा जिंदा रहा।
इसके बाद वो सिर्फ 1971 में एक बार ही देहरादून आ पाए। अब 82 साल की उम्र में उन्हें एक बार फिर अपने बचपन के दिनों की याद जोर मारने लगी। इस तरह गणतंत्र दिवस के मौके पर उन्हें देहरादून में उनकी पुरानी जगह का दीदार हो सका। वीडियो फुटेज देखकर जैदी की आंखें भर आईं।